गुरुवार, 4 जून 2020

ऑनलाइन शिक्षा है या जानलेवा

एक खबर केरल के मलप्पुरम से आ रही है।ऑनलाइन कक्षा छूट जाने की वजह से नौंवी में पढ़ने वाली एक छात्रा ने खुदकुशी कर ली है।इस घटना ने समूची व्यवस्था पर तीखा सवाल खड़ी कर रही है,सरकार के द्वारा कोई भी नई व्यवस्था शुरू की जाती है तो क्या उसकी तैयारी पुर्ण रूप से नहीं की जाती है?क्या यह ध्यान रखने की जरूरत नहीं थी कि ऑनलाइन व्यवस्था कितने लोगों के पास पहुँच रही,कितने लोग वंचित हो सकते हैं।कोरोना संक्रमण  को रोकने केलिए सारे नियमित  शौक्षणिक संस्थान बन्द किए गए,जिससे बुरी तरह पढ़ाई बाधित रही।इसलिए सरकार ने विकल्प के रूप में ऑनलाइन  कक्षाएं संचालित करने की व्यवस्था की।तो क्या सरकार  काफ़ी संवेदनशील है बच्चों के पढ़ाई के प्रति जिसके लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था की गई ताकि पढ़ाई बाधित न हो?तो क्या सरकार की सिर्फ यही मकसद थी या फिर....?


       मलप्पुरम में जिस लड़की ने खुदकुशी की, उसके घर मे टीवी खराब था और स्मार्टफोन नहीं था।तो अब सवाल यह है कि सरकार ने ऑनलाइन कक्षाएं शुरू की ,तब क्या यह सुनिश्चित कर लिया था कि सभी बच्चों के पास  तकनीकी संसाधन की व्यवस्था है।मृतक दलित बच्ची के पिता मलप्पुरम में दिहाड़ी मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का भरण-पोषण करता है।पूर्णबन्दी के वजह से उनकी रोजी-रोटी छीन गई थी ऐसे में वो अपने बच्ची को ऑनलाइन पढ़ने केलिए स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं करा सके।जिससे उस बच्ची का पढ़ाई बाधित हुआ,इससे वो पूरी तरह टूट गई और खुदखुशी कर ली।
हाँ यह बिल्कुल सही है इस लॉक डाउन ने ऑनलाइन शिक्षा पद्धति को अपनाया है।एक विकल्प के रूप में ऑनलाइन शिक्षा पद्धति बहुत जल्दी उभरी है।लेकिन क्या इसके पहले यह सुनिश्चित करने की जरूरत नहीं है कि नियमित स्कूल-कॉलेज में पढ़ने सभी विद्यार्थियों की पहुँच तकनीकी आधुनिक संसाधनों तक है या नहीं? एक रिपोर्ट के मुताबिक आज भी चालीस प्रतिशत से ज्यादा लोगों के पास कंप्यूटर,लैपटॉप और स्मार्टफोन जैसे उपकरण नहीं है।खासकर ग्रामीण इलाकों में आज भी तकरीबन एक चौथाई आबादी के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है।ऑनलाइन शिक्षा पद्धति में सबसे ज्यादा लड़कियाँ ही प्रभावित होगी।क्योंकि के आज भी बहुत ऐसे घर हैं जहां उन्होंने स्मार्टफोन नहीं दी जाती।ऐसे में अंदाजा लगाना मुश्किल है कितने विद्यार्थी वंचित रह सकते हैं।इसके लिए सरकार को  सारे पहलुओं पर विचार करने की आवश्यकता है ताकि कोई भी विद्यार्थी इससे वंचित न रह सके।