शनिवार, 29 जनवरी 2022

आम बजट

इस बार लगातार तीसरा साल होगा जब कोरोना संकट के बीच एक फरवरी को आम बजट आएगा। हालांकि पिछले दो सालों के मुकाबले हालात इस बार उतने खराब नहीं हैं। पर यह कहना भी सही नहीं होगा कि अर्थव्यवस्था संकट से निकल चुकी है। पिछले दो साल में अर्थव्यवस्था ने जिस तरह की भारी गिरावट झेली है, उद्योग-धंधे चौपट हुए हैं और उत्पादन गिरा है, उसका असर लंबे समय तक बने रहने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। 

सरकार की प्राथमिकता अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है। ऐसे में इस बार भी सरकार बजट में ऐसे कदमों को ही प्राथमिकता दे सकती है जो अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने वाले हों। इसके लिए ढांचागत परियोजनाओं पर खर्च करने पर जोर देना पड़ेगा। इधर उद्योग जगत पहले ही करों में राहत से लेकर दूसरी रियायतों की मांग कर रहा है। वहीं छोटे और मझोले उद्योग अभी तक भी महामारी से उपजे संकट से उबर नहीं पाए हैं। इसलिए देखने की बात यह होगी कि सरकार अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले एमएसएमई क्षेत्र के लिए क्या बड़े कदम उठाती है।



बजट पर हर किसी की निगाहें इसलिए भी टिकी होती हैं कि कहीं कुछ मिल जाने की उम्मीद रहती है, चाहे व्यापारी हों या फिर आम आदमी। जहां तक सवाल है आम आदमी का, तो वह ऐसा बजट चाहता है जिसमें कर रियायतें हों, महंगाई बढ़ाने वाला न हो और बचत बढ़ाने वाला हो। आज आम आदमी जिन मुश्किलों से जूझ रहा है, उसमें बजट से उम्मीदें और बढ़ जाना कोई गलत नहीं है। पिछले दो सालों में महामारी से पैदा हालात ने आम आदमी की जेब पर बुरा असर डाला है। बचत तो दूर की बात, रोजाना का खर्च चलाना लोगों को भारी पड़ रहा है।