हमेशा से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी दस वर्ष पहले प्रधानमंत्री बन जाते तो आज भारत का भविष्य कुछ और रहता।
आज देश के पूर्व पीएम और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती हैं। बीजेपी सरकार अटल बिहारी के जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है।
भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है.जनसंघ के संस्थापकों में से एक वाजपेयी जी के राजनीतिक मूल्यों की पहचान बाद में हुई और उन्हें भाजपा सरकार में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
इंदिरा गांधी के खिलाफ जब विपक्ष एक हुआ और बाद में जब देश में मोरारजी देसाई की सरकार बनी तो अटल जी को विदेशमंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने अपनी राजनीतिक कुशलता की छाप छोड़ी और विदेश नीति को बुलंदियों पर पहुंचाया. बाद में 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर पार्टी का दामन छोड़ दिया. इसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में वह एक थे. उसी साल उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी. इसके बाद 1986 तक उन्होंने भाजपा अध्यक्ष पद संभाला. उन्होंने इंदिरा गांधी के कुछ कार्यों की तब सराहना की थी तब जब संघ उनकी विचारधारा का विरोध कर रहा था.कहा जाता है कि संसद में इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपाधि उन्हीं की तरफ से दी गई. उन्होंने इंदिरा सरकार की तरफ से 1975 में लादे गए आपातकाल का विरोध किया. लेकिन, बंग्लादेश के निर्माण में इंदिरा गांधी की भूमिका को उन्होंने सराहा था.
वाजपेयी जी हमेशा पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते की बात करते थे।उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत की थी।पहली बार बस सेवा के वो खुद गए और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मिलकर लाहौर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।इस यात्रा के दौरान वे मीनार-ए-पाकिस्तान भी गए।यह वैसी जगह है जहाँ सबसे पहले पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया था।मीनार-ए-पाकिस्तान एक ऐसी जगह है जहाँ भारत के किसी भी प्रधानमंत्री जाने का हिम्मत नहीं जुटा पाया था।
देश में दूरसंचार क्रांति और गांव-गांव में का श्रेय भी वाजपेयी जी को ही जाता है।इन्होंने ही BSNL के एकाधिकार को खत्म करके नई दूरसंचार नीति को लागू किया था।इसके चलते की देश में सस्ती कॉल दरे और मोबाईल का प्रचलन भी बढ़ा।
वाजपेयी जी ने ही सबसे पहले देश की सभी सड़को को एक सूत्र में जोड़ने का अहम फैसला लिया था।इन्होंने ने चारों महानगरों को जोड़ने केलिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की शुरुआत की।
'सर्व शिक्षा अभियान' के तहत छह से चौदह वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का अभियान को शुरू किया।आर्थिक मोर्चे पर भी अहम योगदान दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी आजीवन कुंवारे रहे। अक्सर विपक्ष के नेता और मीडिया उनसे यह सवाल कर ही देते थी कि आप ने शादी क्यों नहीं की ? अटल जी ने एक बार ऐसे ही बातों ही बातों में अपनी हाजिर जवाबी का परिचय देते हुए जवाब दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी से एक बार सवाल पूछा गया कि आप अब तक कुंवारे क्यों हैं ? पत्रकारों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि 'मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।'