शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020

'मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।'-वाजपेयी

 हमेशा से राजनीतिक विश्लेषकों का मानना रहा है कि अटल बिहारी वाजपेयी दस वर्ष पहले प्रधानमंत्री बन जाते तो आज भारत का भविष्य कुछ और रहता। 

आज देश के पूर्व पीएम और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती हैं। बीजेपी सरकार अटल बिहारी के जन्मदिवस को सुशासन दिवस के रूप में मनाती है। 

भारत के राजनीतिक इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी का संपूर्ण व्यक्तित्व शिखर पुरुष के रूप में दर्ज है. उनकी पहचान एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रशासक, भाषाविद, कवि, पत्रकार व लेखक के रूप में है.जनसंघ के संस्थापकों में से एक वाजपेयी जी के राजनीतिक मूल्यों की पहचान बाद में हुई और उन्हें भाजपा सरकार में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.



इंदिरा गांधी के खिलाफ जब विपक्ष एक हुआ और बाद में जब देश में मोरारजी देसाई की सरकार बनी तो अटल जी को विदेशमंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने अपनी राजनीतिक कुशलता की छाप छोड़ी और विदेश नीति को बुलंदियों पर पहुंचाया. बाद में 1980 में जनता पार्टी से नाराज होकर पार्टी का दामन छोड़ दिया. इसके बाद बनी भारतीय जनता पार्टी के संस्थापकों में वह एक थे. उसी साल उन्हें भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष की कमान सौंपी गयी. इसके बाद 1986 तक उन्होंने भाजपा अध्यक्ष पद संभाला. उन्होंने इंदिरा गांधी के कुछ कार्यों की तब सराहना की थी तब जब संघ उनकी विचारधारा का विरोध कर रहा था.कहा जाता है कि संसद में इंदिरा गांधी को दुर्गा की उपाधि उन्हीं की तरफ से दी गई. उन्होंने इंदिरा सरकार की तरफ से 1975 में लादे गए आपातकाल का विरोध किया. लेकिन, बंग्लादेश के निर्माण में इंदिरा गांधी की भूमिका को उन्होंने सराहा था.



वाजपेयी जी हमेशा पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते की बात करते थे।उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में दिल्ली-लाहौर बस सेवा की शुरुआत की थी।पहली बार बस सेवा के वो खुद गए और तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ मिलकर लाहौर दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।इस यात्रा के दौरान वे  मीनार-ए-पाकिस्तान भी गए।यह वैसी जगह है जहाँ सबसे पहले पाकिस्तान बनाने का प्रस्ताव पास किया था।मीनार-ए-पाकिस्तान एक ऐसी जगह है जहाँ भारत के किसी भी प्रधानमंत्री  जाने का हिम्मत नहीं जुटा पाया था।



देश में दूरसंचार क्रांति और गांव-गांव में का श्रेय भी वाजपेयी जी को ही जाता है।इन्होंने ही BSNL के एकाधिकार को खत्म करके नई दूरसंचार नीति को लागू किया था।इसके चलते की देश में सस्ती कॉल दरे और मोबाईल का प्रचलन भी बढ़ा।

वाजपेयी जी ने ही सबसे पहले देश की सभी सड़को को एक सूत्र में जोड़ने का अहम फैसला लिया था।इन्होंने ने चारों महानगरों को जोड़ने केलिए स्वर्णिम चतुर्भुज सड़क परियोजना की शुरुआत की।

'सर्व शिक्षा अभियान' के तहत  छह से चौदह वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का अभियान को शुरू किया।आर्थिक मोर्चे पर भी अहम योगदान दिया।


अटल बिहारी वाजपेयी आजीवन कुंवारे रहे। अक्सर विपक्ष के नेता और मीडिया उनसे यह सवाल कर ही देते थी कि आप ने शादी क्यों नहीं की ? अटल जी ने एक बार ऐसे ही बातों ही बातों में अपनी हाजिर जवाबी का परिचय देते हुए जवाब दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी से एक बार सवाल पूछा गया कि आप अब तक कुंवारे क्यों हैं ? पत्रकारों को जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि 'मैं अविवाहित हूं लेकिन कुंवारा नहीं हूं।'

         -अरुणेश✍️

सोमवार, 14 दिसंबर 2020

बिहार के तीस वर्षों का लेखा-जोखा छपा है : गांधी मैदान

 वरिष्ठ पत्रकार व संपादक अनुरंजन झा ने अपनी पुस्तक 'गांधी मैदानः Bluff of Social Justice' में बिहार के पिछले 30 सालों का लेखा-जोखा उधेड़ने की कोशिश की है।पिछले 30 सालों में किस प्रकार की घटनाएं घटी,बिहार ने क्या पाया,क्या खोया? इन्हीं तमाम मुद्दों की चर्चा इस पुस्तक (गांधी मैदान) में की गई है।


'इस किताब की कहानी बिहार के दो मुख्यमंत्री लालू यादव और नीतीश कुमार के इर्दगिर्द घूमती है।शुरुआत होती है लालू यादव के राजनीतिक संघर्ष से,किस प्रकार लालू यादव को सत्ता मिलती है।सत्ता में काबिज होने के बाद किस प्रकार राजनीति से अपराध की दुनिया में कदम रखते हैं।किस प्रकार से लगातार एक के बाद एक घोटाले करके जेल के अंदर-बाहर हो रहे थे।'



'फिर बिहार को एक नए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मिलते हैं।नीतीश राज्य में एक नया सिस्टम खड़ा कर दिया,वह सिस्टम जो लालू राज में लालू ही सिस्टम थे।उस सिस्टम पर नकेल कसने की कोशिश की।जो अपराधी लालू राज में सत्ता के हिस्सेदार थे,वो नीतीश राज में जेल की सलाखों के पीछे थे।नीतीश की पूरी राजनीति 15 सालों के जंगलराज के इर्दगिर्द घूमती रही। जयप्रकाश नारायण के दोनों चेले लालू और नीतीश बारी-बारी से बिहार की सत्ता पर काबिज तो हुए लेकिन लेकिन सामाजिक न्याय के नाम पर पिछले 30 सालों में बिहार की जनता के साथ धोखा ही किया।'


"इस किताब में वीर कुँअर सिंह का आरा कैसे ब्रह्मेश्वर मुखिया का आरा कैसे हो गया? जेपी और कर्पूरी ठाकुर का बिहार कैसे लालू और नीतीश का होगया।देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र बाबू के गाँव जीरादेई से खरतनाक गुंडों में से एक शाहबुद्दीन विधायक और संसद बनगया।गांधी के चंपारण में कैसे गैंगवार ने जगह लेली।वाल्मीकि के जंगल को कैसे डकैतों ने मिनी चंबल बना दिया।"



अनुरंजन झा की पुस्तक रामलीला मैदान के बाद दूसरी क़िताब है "गांधी मैदान"।उस किताब में उन्होंने ने अन्ना आंदोलन से आम आदमी पार्टी के राजनीतिक सफर की सच्चाई सामने लाने की कोशिश की थी।उसी प्रकार 'गांधी मैदान' में 30 सालों का हिसाब बताने की कोशिश की है।


बुद्ध-महावीर की धरती बिहार के पिछले 30 सालों की राजनीति को समझने के लिए "गांधी मैदानः Bluff of Social Justice" को सबको पढ़नी चाहिए।खासकर अगर बिहारी हैं तो बिल्कुल पढ़ना चाहिए, अगर राजनीति में दिलचस्पी रखते हैं तो उनको जरूर पढ़ना चाहिए।

        - अरुणेश कुमार

गुरुवार, 10 दिसंबर 2020

सभी के लिए आदर्श हैं श्री राम

सभी के लिए आदर्श हैं श्री राम

 


एक पुत्र के रूप में जब राजा दशरथ ने श्री राम को माता कैकेयी के कहने पर 14 वर्ष का वनवास दिया तो श्री राम ने एक बार भी नहीं सोचा और आदेश का पालन किया। एक भाई के रूप में श्री राम अपने सभी भाईयों लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से अत्यंत स्नेह करते थे। जब उनको वनवास और भरत को शासन देने की बात हुई तो भी श्री राम को हर्ष ही हुआ कि भरत राजा बनकर शासन करेंगे। लक्ष्मण तो जैसे श्री राम की परछाईं ही थे। दोनों ने कभी भी एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ा। आज भी अनेकों घरो में भाइयों का नाम राम-लक्ष्मण रखा जाता है।


एक पति के रूप में श्री राम ने अपने सभी धर्म निभाए। वो उनका स्नेह और धर्म का पालन ही था माता सीता के प्रति जो उनको हज़ारों किलोमीटर दूर लंका तक लेकर गया उनकी खोज में, माता सीता और श्री राम भारतीय दंपतियों के लिए आदर्श है। श्री राम का नैतिक आचरण, सत्य, त्याग, धैर्य, करुणा, पराक्रम हर भारतीय को प्रेरित करती है।


लंका पर विजय पाने के बाद भी उन्होंने उसपर कब्ज़ा नहीं किया, बल्कि रावण के भाई वि‍भीषण को ही वहां का राजा बनाया। किसी का दमन करना, अतिक्रमण करना, यह हमेशा से भारत की परंपरा के विरुद्ध रहा है। इसीलिए राम मंदिर का निर्माण विश्व भर के लिए एक जीवंत सन्देश है। प्रभु श्री राम की तरह धर्म आधारित जीवन जीने की प्रेरणा देने वाला एक मंदिर।

      -अरुणेश कुमार