बुधवार, 24 मार्च 2021

अक्टूबर जंक्शन : दिव्य प्रकाश दुबे

 

अक्टूबर जंक्शन दिव्य प्रकाश दुबे की एक ऐसी किताब है। जिसकी कहानी दिल और दिमाग में चढ़ते जाता है
कहानी बनारस से शुरू होती है जहाँ चित्रा और सुदीप धोखे से एक-दूसरे से मिलते हैं और दुनिया की एक खूबसूरत प्रेम कहानी बनती चली जाती है। चित्रा और सुदीप की यह कहानी हर किसी के पढ़ने लायक है।

किताब की कुछ पंक्तियां जो दिल छू लेती हैं :-

एक अधूरी उम्मीद ही तो है जिसके सहारे हम बूढ़े होकर भी बूढ़े नहीं होते। किसी बूढ़े आशिक़ ने मरने से ठीक पहले कहा था कि एक छंटांक भर उम्मीद पर साली इतनी बड़ी दुनिया टिक सकती है तो मरने के बाद दूसरी दुनिया में उसकी उम्मीद बांधकर तो मर ही सकता हूँ। बूढों की उम्मीद भरी बातों को सुनना चाहिए।

किसी के साथ बैठकर चुप हो जाना और इस दुनिया को रत्ती भर भी बदलने की कोई भी कोशिश न करना ही तो प्यार है!

हर आदमी में एक औरत और हर औरत में एक आदमी होता है। हर आदमी अपने अंदर की अधूरी औरत को जिंदगी भर बाहर ढूँढता रहता है लेकिन वो औरत बड़ी मुश्किल से मिलती है। वैसे ही हर औरत अपने अंदर का अधूरा आदमी ढूँढती रहती है लेकिन वो अधूरा आदमी बड़ी मुश्किल से मिलता है। और कई बार वो अधूरा मिलता ही नहीं। लेकिन अगर एक बार अधूरा हिस्सा मिल जाए तो आदमी मरकर भी नहीं खोता। तू ध्यान से देख वो कहीं नहीं गया तेरे अंदर है। आधी तू आधा वो।

नदी और जिंदगी दोनों बहती हैं और दोनों ही धीरे-धीरे सूखती रहती हैं।

 


किताबः      अक्टूबर जंक्शन
लेखकः        दिव्य प्रकाश दुबे
पृष्ठः           150
मूल्यः          125 रुपए
प्रकाशकः     हिंद युग्म

बुधवार, 17 मार्च 2021

जुहू चौपाटी : साधना जैन

 

जुहू चौपाटी , साधना जैन का उपन्यास है जिसकी कहानी एक फ़िल्म अभिनेत्री के इर्दगिर्द घूमती है।यह साधना जी की पहली किताब है।इनकी भाषा की पकड़ जानना हो तो इस किताब को पढ़ सकते हैं।किसी भी राईटर केलिए  सरल और सहज भाषा में लिखना बहुत मुश्किल होता है।
इस किताब में एक भूतपूर्व अभिनेत्री की कहानी है जो मर चुकी है।उस अभिनेत्री का नाम मीरा है।मीरा की अचानक मृत्यु हो जाती है।जब उसकी आत्मा खुद को मृत देखती है तो उसको बिल्कुल विश्वास नहीं होता है। "दुनिया से भागा जा सकता है, खुद से नहीं।" मीरा वहां से अचानक घबराई हुई लड़की की तरह भाग जाती है।जिस दिशा में वह जा रही थी वो रास्ता 'जुहू चौपाटी' की तरफ जाता था।जुहू चौपाटी मुंबई शहर का सबसे प्रसिद्ध तट है।मीरा भी इसी तट पर बैठकर अपने मरने की वजह खोज रही है।दरअसल उसको यह भी नहीं मालूम है कि उसकी हत्या किसने की? सब कुछ वो यही से याद करती है।शिमला वाला घर छोड़ कर दिल्ली क्यों आई थी? वहां से मुंबई क्यों गई? कैसे बॉलीवुड में अभिनेत्री बनी? क्यों उसने बॉलीवुड की बड़ी अभिनेत्री होने के बावजूद फिल्मों से काम करना छोड़ दिया? मीरा की मृत्यु कैसे और क्यों होती है? राजी,संदीप,राजीव, रीना ,शास्त्री जी और मीठी से क्या संबंध थे मीरा की।इन सब प्रश्नों का उत्तर उपन्यास पढ़ने के बाद ही मिल सकता है।


कुछ पंक्तियां जिन्होंने बहुत कुछ कह दिया उनका उल्लेख जरूरी है-
"हमारा वर्तमान हमारे अतीत का अपग्रेड वर्जन ही तो है।हम चाहें भी तो अपने ओल्डसेल्फ़ मे वापस नहीं जा सकते।जिस तरह मुँह से निकले हुए हमारे शब्द पराए हो जाते हैं, उसी तरह हमारा जिया हुआ कल हमारे आज से अजनबी होता जाता है।"


"हमारी सोच ,हमारे विचार हमारी भावनाएं, हमारी पसंद सब वक्त के साथ बदल जाते हैं।और ये बदलाव पलक झपकते ही नहीं हो जाता।ये प्रक्रिया हर सेकेंड चालू रहती है जिसका हमें पता भी नहीं चलता।और एक दिन हम पाते हैं हम वह रहे ही नहीं जो कल थे।"


"कई बार हम ऐसा कुछ कर जाते हैं जिसे करने के बाद हमें खुद हैरानी  होती है।कुछ ऐसा जो हम कब का करना छोड़ चुके होते हैं या वह हमने अपनी जिंदगी में कभी किया ही नहीं होता।फिर अचानक ऐसा कुछ घट जाता है जिसके बाद हम वह काम इस तरह से कर जाते हैं, मानो ये प्यास लगने पर पानी पीने जैसी आम बात हो।"


"जिस पल रात सुबह में बदल रही होती है उस पल को देखकर ऐसा लगता है जैसे पूरा आसमान हमसे कहना चाहता हो कि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता।हर रात की मंजिल सुबह है।हर दुःख का अंत सुख है।और सुख की भी एक निश्चित उम्र है।"


"दो लोगों के बीच की वैचारिक क्षमता का वजन जब होने वाली बातचीत के तराजू के दोनों पलड़ों में बराबर पड़ता है तभी यह तय होता है कि उनके बीच बनने वाला रिश्ता कितना गहरा होगा!दूर कितना जाता है इस बात से कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता है।"


"इंसान जिंदा हो या मरा हुआ उसे किसी न किसी का साथ चाहिए।वह अकेले बचा तो रहता है मगर मानसिक तौर पर बीमार होता जाता है।
"

लिखने केलिए तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन प्रतिक्रिया की भी अपनी सीमा होती है।अंत में मैं लेखिका को बहुत बहुत धन्यवाद देता हूँ कि जिसने एक नए तरीके से कहानी को पेश की।आशा करता हूँ कि आगे भी ऐसे ही कुछ नया लिखने का कोशिश करेंगी।
पुस्तक : जुहू चौपाटी
लेखिका : साधना जैन
प्रकाशन : हिन्द युग्म
मूल्य : 150 रुपये मात्र


मंगलवार, 16 मार्च 2021

कांग्रेस को आत्मविश्लेषण की जरूरत

 कांग्रेस पार्टी केलिए चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के विधानसभा चुनाव कितने महत्वपूर्ण हैं ये बताने की जरूरत नहीं है।इस समय कांग्रेस की स्थिति क्या हो चुकी है ये भी बताने की जरूरत नहीं है।जाहिर सी बात है कि कांग्रेस की दशा देखकर कट्टर समर्थक भी हताश हो रहे होंगे।दरअसल कांग्रेस की स्थिति इतनी खराब होने के पीछे भी कांग्रेस नेताओं का हाथ है।आपने देखा होगा राहुल गांधी  सिर्फ केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में प्रचार करते दिख रहे हैं। वही प्रियंका गांधी असम में दिख रही है।इसका मतलब क्या है? वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सिर्फ सोशल मीडिया पर अपने उलूल-जलूल बयान देते नजर आ रहें हैं।दरअसल जिस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को जी जान लगाकर चुनावी अभियान लगाना चाहिए था,तब ये लोग अपने ही पार्टी के खिलाफ अजीबोगरीब बयान देकर फंसते नजर आते हैं।चाहे वो राहुल गांधी का बयान हो या किसी अन्य वरिष्ठ नेताओं का,हमेशा से सवालों के घेरे में ही रहता है। विडंबना तो यह है कि अगर कोई नेता पार्टी के हित में सच्चाई दिखाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ अन्य सदस्य पार्टी से बाहर निकालने केलिए एक अलग मोर्चा खड़ा कर देते हैं।हाल ही में गुलाब नबी आजाद के साथ क्या हो रहा है ये बताने की जरूरत नहीं है। दरअसल यह परिदृश्य सिर्फ कांग्रेस पार्टी की ही नहीं है अन्य पार्टीयों में भी ऐसा होते रहा है।आजकल तो सरकार के नीतियों के खिलाफ कुछ बोलने की कोशिश करते हैं तो उनके समर्थक देशद्रोही घोषित करने लगते हैं।दरअसल यही सच्चाई है।

जिस  समय कांग्रेस को नरेंद्र मोदी और अमित शाह  के खिलाफ मोर्चा संभालना चाहिए था उस समय पार्टी अपने ही नेताओं के बयान से उलझे हुए है।हाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पार्टी के हित में बंगाल के पीरज़ादा अब्बास सिद्धिकी के साथ होने वाले  गठबंधन का विरोध किया तो कांग्रेस पार्टी के दूसरे नेता अधीर रंजन चौधरी उनका किस तरह से माजक बनाया यह बताने की आवश्यकता नहीं है।
ध्यान देने की बात है जब कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी के संगठन मजबूत करने केलिए और स्थाई अध्यक्ष केलिए जो पत्र लिखा गया था उसमें भी वही नेता थे जो पार्टी के हित चाहते थे।हालांकि उनके पत्र पर कोई विचार तक नहीं किया गया।दरअसल होना यह चाहिए था कि पार्टी के अध्यक्ष एक बैठक बुलाते सर्वसम्मति से पार्टी के हित मे चर्चा की जाती,विचार विमर्श होती।लेकिन ऐसा हुआ नहीं।अगर ऐसा हुआ रहता तो ऐसी नौबत ही नहीं आती।आज कांग्रेस इस स्थिति हो चुकी है भाजपा के खिलाफ खड़ा होने में भी सोचना पड़ता है।इसका नतीजा पिछले चुनावों के आंकड़ों से देखा जा सकता है।
     कांग्रेस की मौजूदा  स्थिति से यही अनुमान लगाया जा सकता है कि अगर ऐसी हालात रही तो आगामी विधानसभा चुनाव में वही स्थिति रहेगी जो पिछले छः सालों से देखने को मिल रहा है।संयोग से अगर कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा तो पार्टी के चाटूकार लोग गांधी परिवार की चाटूकारिता करते हुए नज़र आएंगे।इससे कांग्रेस का भविष्य क्या होगा देखना बड़ा दिलचस्प होगा?


रविवार, 14 मार्च 2021

ये कैसी चोट थी,24 घण्टे में कटा प्लास्टर ममता पर रविकिशन का तंज

 

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 के दिन जितने नजदीक आ रहे हैं सियासी माहौल उतना ही गरम होता जा रहा है। प्रदेश में छिटपुट हिंसा के साथ नेताओं के आराेप- प्रत्यारोप का दौर जारी है। ममता बनर्जी पर कथित हमले को बीजेपी के ‘नौटंकी' करार दिया है तो वहीं मुख्यमंत्री का कहना है कि उन पर हमला किया गया है। अभिनेता और बीजेपी के गोरखपुर से सांसद रवि किशन ने ममता बनर्जी के अस्पताल से निकलकर व्हीलचेयर पर चुनाव प्रचार करने पर तंज साधा है। उन्होंने अपने ट्विटर पर एक ट्वीट से माध्यम से कहा कि कैसी चोट थी जो 24 घंटे में ही प्लास्टर कट गया।


रवि किशन ने अपने ट्वीटर पर लिखा, ‘व्हीलचेयर पर दीदी बैठे, सबसे मांगे वोट। 24 घंटे ने प्लास्टर कटा, ये कैसी थी चोट। जोगिरा सा रा रा रा...।'