बुधवार, 21 सितंबर 2022

राहुल गांधी की पदयात्रा,भाजपा में खलबली

 राहुल गांधी की पदयात्रा,भाजपा में खलबली


जब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकलने से पहले हल्ला बोल रैली किए।तब सबसे पहले लीटर और आटा का विवाद सामने आ गया।जैसे कुछ वर्ष पहले आलू से सोना वाला बयान को वारयल किया गया था।इस बार भी वीडियो को वायरल करने की कोशिश की गई।लेकिन भाजपा को बहुत बड़ी कामयाबी नहीं मिली।क्योंकि अब लोगों को बहुत ज्यादा पसंद नहीं आता। सच बात तो यही है भाजपा ने राहुल गांधी पर वार करने की कोई कसर नहीं छोड़ा है।और भाजपा को सबसे बड़ी कामयाबी भी मिली है।चाहे तो 2014 का चुनाव हो या 2019 का।लेकिन मुझे लगता है इस बार यानि 2024 के चुनाव ये वार काम नहीं आने वाला। भाजपा को अब कुछ और तरीके तलाशने होंगे। क्योंकि हाल ही जैसे ही भाजपा ने टी-शर्ट पर सवाल उठाया उसमें वो खुद फंसने लगी। जैसे ही भारत जोड़ो यात्रा को भारत छोड़ो कहने की कोशिश की गई।लेकिन दांव उलटी पड़ गयी।जैसे ही स्मृति ईरानी ने विवेकानंद को लेकर राहुल गांधी पर सवाल किया।लेकिन फिर से भाजपा की फजीहत हुई।

भारत जोड़ो यात्रा जैसे जैसे बढ़ रही है वैसे वैसे कई पुरानी यात्राओं का जिक्र सामने आ रहा है।चाहे वो राजीव गांधी की यात्रा हो,चाहे वो विनोद भावे की यात्रा हो ,चाहे वो पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की यात्रा हो। इन सारी यात्राओं को याद करने की वजह यह है को इन सारी यात्राओं के बाद भारत की सियासत में बदलाव हुए हैं। तो क्या कांग्रेस देश का माहौल बदलने में कामयाब होगी?

राहुल गांधी ने यात्रा की शुरुआत दक्षिण से किया है।दक्षिण वो कमजोर कड़ी है जहां पर भाजपा आज भी कमजोर है।तब जब वो अपने सबसे अच्छे दौर में है।हालांकि भाजपा को अनुमान है कि इस बार दक्षिण में बेहतर प्रदर्शन करेगी।भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का यह बयान नहीं भूलना चाहिए जब उन्होंने कहा था कि बीजेपी के अलावा कोई पार्टी इस देश में नहीं बचेगी।चाहे वो क्षेत्रीय दल हो या राष्ट्रीय। इस बयान का मतलब सिर्फ राजनीति ही हो सकता है। क्योंकि अगर कांग्रेस ख़त्म हो जाती है उसके बाद क्षेत्रीय दल भी खत्म हो जाएंगे फिर बचेगा कौन? कुछ दिन पहले शरद पवार ने भी कहा था कि जैसे जैसे कांग्रेस कमजोर हो रही है वैसे वैसे क्षेत्रीय दल मजबूत होती जा रही है।निश्चित तौर पर शरद पवार की बात सही भी लगती है जैसे अगर देखा जाए केजरीवाल की पार्टी एक क्षेत्रीय पार्टी है जिस तरह से उन्होंने दिल्ली से पंजाब तक विस्तार किया अब गुजरात में भी कोशिश कर रहे हैं। वैसे ही बंगाल में ममता बनर्जी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।हालांकि नीतीश कुमार और शरद यादव ने पहले ही कह दिया है कि कांग्रेस के बिना केंद्र की राजनीति सम्भव नहीं है।


दरअसल लोकसभा की राजनीति अलग क़िस्म की होती है।जहां दो दल आमने सामने होते हैं। जैसे एनडीए और यूपीए। आज के दौर में बीजेपी जितना मजबूत स्थिति में है उसके इर्दगिर्द भी कांग्रेस नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे एक जमाने में कांग्रेस भी हुआ करती थी। लेकिन एक सवाल यह भी है कि आज जिस स्थिति में बीजेपी है क्या वह अपने प्रदर्शन को बरकरार रख सकती है? यह अपने आप में बहुत बड़ा सवाल है। क्योंकि कांग्रेस को जितना खोना था उतना खो चुकी है।कांग्रेस के लिए इससे बुरी स्थिति क्या हो सकती है पार्टी के शीर्ष नेता ही पार्टी छोड़ कर जा चुके हो। चाहे वो गुलाम नबी आजाद हो या कपिल सिब्बल जैसे दिग्गज नेता।इसलिए देखा जाए तो कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है। लेकिन फिलहाल बीजेपी को भरोसा है कि वो अपने प्रदर्शन को बरकरार रख सकती है।लेकिन फिर भी बीजेपी के लिए 2024 का चुनाव चुनौतीपूर्ण होने वाला है।


अरुणेश कुमार, चंपारण