गुरुवार, 6 मई 2021

चौरासी : सत्य व्यास

 किताब : चौरासी

लेखकः सत्य व्यास

प्रकाशकः हिंद युग्म
पृष्ठः 160
मूल्यः 150 रुपए


सत्य व्यास के द्वारा लिखी गई 'चौरासी' में ऋषि और मनु की प्रेम कहानी है।1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निधन के पश्चात हुए दंगों का विवरण हमें इस पुस्तक में देखने को मिलता है।कैसे अपने ही पड़ोसी और जान पहचान के लोग हमारे विरुद्ध खड़े होने पर उतारू हो गए, यह देखने को मिलता है।कैसे पूरे सिख समुदाय पर नरसंहार शुरू हो गई थी? किस प्रकार किताब का नायक ऋषि हिंसक दंगो से अपने प्रेमी के परिवार को बचाता है? जबकि कि वह स्वयं दंगाई था।किरदारों की बात करें तो किरदार ज़्यादा नहीं हैं. मनु, ऋषि, छाबड़ा साहब मुख्य हैं।मनु का किरदार काफी मज़बूत है. तमाम परिस्थितियों में भी कहीं से भी कमज़ोर नहीं होता।
सत्य व्यास ने प्रेम और हिंसा यानी दोनों ध्रुवों को गजब के संतुलन में लिखा है।एक तरफ जहां प्रेम/प्रेमिका के पहले स्पर्श को दर्शाता है तो दूसरी तरफ हिंसक दंगो के सामने खड़ी मौत से रूबरू कराता है।
कुल मिलाकर इस किताब के बारे अपने शब्दों में कहूँ तो  प्रेम भी है, देश भी है, विद्रोह भी है, लाचारी भी  है, मानवता के साथ स्वार्थ भी है, राजनीति भी है।भारत देश की एक छवि भी है।जिसे लेखक ने अपनी कलम से उस खूबसूरती को पिरोया है।
किताब की भाषा की बात करें तो हमेशा की तरह नई वाली सरल हिंदी है. पढ़ने में मज़ा आता है. किताब सीधे-सीधे पढ़ी जा सकती है. एक बार में खत्म की जा सकती है।


किताब के कुछ लाइनें, जिसका जिक्र जरूरी है


“प्रेम की किस्मत में  आज भी सीढ़ियां नहीं होती, लिफ्ट नहीं होती, एस्केलेटर नहीं होते, आज भी दरिया, वो भी आग वालों से ही गुज़ारना  पड़ता  है .”

“दुनिया का समस्त ज्ञान व्यर्थ है, यदि स्त्री के मन को नहीं पढ़ पाता.“

“अफ़वाह की सबसे विनाशकारी बात यह होती है कि यह नसों में लहू की जगह नफ़रत दौड़ाती है.”

“अदला-बदली पत्रोँ की ही नहीं, पीड़ाओं की भी होती है.” “लड़की जब अपने सपनों के साथ निकलती है तो सबसे ज्यादा सुरक्षा अपने सपनों की ही करती है.” “राह भर ही नहीं, रात भर मुस्कराती रही.”



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