हाल ही में पाँच राज्यों का चुनावी नतीजे आए हैं।भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए प्रचंड जीत के साथ सरकार बनाई है।वहीं पंजाब में आम आदमी पार्टी पहली बार जबरदस्त जीत के साथ सरकार बनाई है।इसके साथ देश की सबसे पुरानी पार्टी को करारी हार का सामना पड़ा है।हार का कारण जो हो लेकिन कांग्रेस पार्टी के लिए अच्छी खबर नहीं है।
बीते कुछ विधानसभाओं पर नजर डाले तो कांग्रेस का प्रदर्शन काफ़ी निराशाजनक रहा है।बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल और असम तक हर चुनाव में कांग्रेस पतन की ओर बढ़ रही है।इसे देखकर यह कहना उचित होगा कि कांग्रेस का चुनाव हारने का फार्मूला बहुत सफल रहा है।यही बात चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी के युवा सांसद व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा था "चुनाव कैसे हारते हैं ,ये कांग्रेस से सीखना चाहिए"।
दरअसल, कांग्रेस के इतिहास में एक साथ तीन नेता गांधी परिवार से सक्रिय राजनीति में है।ऐसे में पार्टी की ये हालात हो चुकी है कि आए दिन कांग्रेस डूबती जा रही है।पिछले दिनों करारी हार के बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया पार्टी से इस्तीफा की पेशकश कर दी।इस्तीफा देते हुए कहा कि 'अगर हम तीनों यानी सोनिया गांधी ,राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से दिक्कत है तो हम कोई भी त्याग करने को तैयार हैं।हमारा मन बिल्कुल साफ है पार्टी के प्रति, पार्टी से बड़ा कोई नहीं।'
ऐसी प्रतिक्रिया तब आई जब कांग्रेस को 2014 के बाद लगातार हार का सामना करना पड़ रहा है।हालांकि कांग्रेस कमिटी ने अध्यक्ष के चुनाव तक अंतरिम अध्यक्ष बने रहने का अनुरोध किया।इसके साथ ही राजस्थान के मुख्यमंत्री समेत कई कांग्रेसी नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से कांग्रेस की कमान संभालने की मांग की।
राजनीतिक पंडितों कहना है कि पार्टी अंदर की राजनीति से जब तक उबड़ नहीं पायेगी तब तक कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं होता।पार्टी के ही कुछ नेता जो राहुल और प्रियंका के समर्थन में मीडिया में बयान देते रहे हैं।यानी उनका कहना है कि कांग्रेस पार्टी का कमान इन दोनों के हाथ में होगा तो पार्टी बेहतर कर पायेगी।कार्यकर्ताओं में हिम्मत बढ़ेगी।
लेकिन राहुल गाँधी के राजनीति की बात करें तो उनका राजनीति ट्विटर से आगे नहीं बढ़ पाता।राहुल गांधी 2019 के लोकसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था लेकिन इसके बावजूद भी पार्टी के कड़े निर्णय लेते नजर आए।जैसे पंजाब में मुख्यमंत्री बदलना और सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाना ही पार्टी को डूबा दिया।
वहीं प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में सबसे करारी हार का सामना करना पड़ा।
हालांकि सच्चाई यहीं है कि सोनिया गांधी हो या कांग्रेस पार्टी के सदस्य सभी चाहते हैं कि राहुल गांधी को ही अध्यक्ष बनाना लेकिन पाँच राज्यों में करारी हार के बाद पार्टी का शीर्ष नेतृत्व व गांधी परिवार ही सवालों के घेरे में है।साथ ही एक साथ दो सवाल पार्टी में चल रही है।पहला राहुल गांधी को अध्यक्ष कैसे बनाया जाए? दूसरा, पार्टी को कैसे बचाया जाए?
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