गुरुवार, 10 जून 2021

हाशिये पर कांग्रेस

 ऐसे तो कांग्रेस पार्टी हमेशा सुर्खियों में रहती है।लेकिन इस बार राहुल गांधी के करीबी रहें जितिन प्रसाद के बीजेपी शामिल होने के बाद सुर्खियों में है।यूपी विधानसभा चुनाव से पहले जितिन प्रसाद का जाना भाजपा के लिए जितना फायदा होगा उससे ज्यादा कांग्रेस के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।आये दिन कांग्रेस पार्टी के एक के बाद एक नेता पार्टी छोड़कर जा रहे हैं ऐसे में शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठना लाजिमी है।ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद जितिन प्रसाद का जाना राहुल गांधी के लिए सबसे बड़ा झटका है।अब तो राजस्थान कांग्रेस में भी विवाद फिर से सुर्खियों में है।राहुल गांधी के करीबी सचिन पायलट भी नाराज चल रहे हैं।उधर पंजाब में भी मुख्यमंत्री और सिद्दू आमने-सामने हैं। इससे पता चलता है कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है।कांग्रेस की परेशानी साफ दिखाई दे रही है।इतनी परेशान तो कांग्रेस कभी नहीं थी आज इस हालत में हो चुकी है कि अभी तक अपना अध्यक्ष का चुनाव भी नहीं करा पा रही है। क्या पता जून में होगा भी या नहीं ये कहना मुश्किल है? क्योंकि जिस प्रकार से नेतृत्व कांग्रेस कर रही है ये विचारणीय तो है ही।लगातार कांग्रेस कमजोर होती नजर आ रही है।हाल ही में लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद राहुल गांधी ने यह कहते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था कि अब गांधी परिवार से बाहर से कोई अध्यक्ष पद केलिए चयनित होगा।लेकिन आखिर में फिर से सोनिया गांधी को बना दिया गया।उसके बाद भी माना जा रहा था कि यह चुनाव कुछ समय केलिए ही की गई है,पर अब एक साल से ज्यादा हो चुकी है लेकिन अब तक कुछ हुआ नहीं।

ऐसा देखा गया है कि जो नेता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर सवाल करता है या गांधी परिवार से बाहर के नेता को अध्यक्ष बनाने की बात करता है वो या तो पार्टी से बाहर चला जाता है या वो पार्टी के नजरों में आ जाता है।

जहाँ तक जितिन प्रसाद की बात है तो वो एक समय में मनमोहन सिंह के सरकार में मंत्री हुआ करते थे लेकिन पिछले दो चुनाव में खुद अपना शीट नहीं बचा सके थे।बताया जा रहा है कि जब से उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी सक्रिय हुई है उसके बाद से ही जितिन प्रसाद हाशिये पर चले गए थे।अब सवाल यह है कि क्या कांग्रेस अपने नेताओं को बचा पायेगी या ऐसे ही पार्टी के नेता जाते रहेंगे और कांग्रेस हाथ पर हाथ रख के सोयी रहेगी या कोई स्थायी समाधान निकालने में सफल रहेगी।

कांग्रेस के लिए बेहतर होगा कि नेतृत्व को मजबूत करें और यही भी समझे कि इन सबका जिम्मेदार वह स्वयं खुद है।



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