मंगलवार, 9 अगस्त 2022

बचपन सीरीज : 2

 बचपन से ही क्रिकेट कमेंट्री सुनने से ज्यादा मजा क्रिकेट देखने में आता था। टीवी पर देखने का विकल्प नहीं मिल पाता तब रेडियो तो था ही। ऐसे ही एक बार भारत और पाकिस्तान का मैच शुरू होने वाला था। लेकिन लाइट पिछले कई दिनों से आई नहीं थी। और हवा भी तेज चल रही थी क्योंकि उस समय लाइट की स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी इसलिए थोड़ा भी हवा बहना शुरू होती थी कि लाइट गायब।इसलिए पता था कि टीवी देखने का जुगाड़ नहीं लग पायेगा।फिर हमने तय किया कि रेडियो पर ही सुना जायेगा।

उस समय स्कूल मॉर्निंग ही चल रही थी।तो हम स्कूल चले गए। संयोग से दिन शुक्रवार था।हर शुक्रवार के शुक्रवार हमारे स्कूल में हाफ टाइम के बाद खेल खेलाया जाता था। हमलोगों को खेलने के क्लास से बाहर निकाला गया। उसी बीच में पता चला कि स्कूल के बगल में ही मेरे दोस्त के घर मैच चल रहा है। हम बिना पूछे स्कूल से निकल गए क्रिकेट देखने। अभी 3-4 ओवर ही देखे थे कि किसी ने स्कूल में खबर कर दी।

हमें बुलाने के लिए स्कूल से बुलावा आया।हम नहीं गए।कुछ ही समय बाद 2-3 लड़के आए मुझे टांग कर ले गए।स्कूल में पहुँचने के बाद खूब धुलाई हुई। क्योंकि एक गलती यह भी थी कि मेरे साथ 4-5 लड़के और भी थे। सबने मेरा नाम ही लिया।कि इसी के कहने पर गए थे। जिसके चलते मेरी धुलाई थोड़ा ज्यादा हुई। 

अब समय 11 बजे चुके थे।स्कूल की छुट्टी हुई।हम फिर मैच देखने निकल गए।तब तक हवा भी तेज हो चुकी थीं। उस समय टीवी देखने के लिए एंटीना का इस्तेमाल किया जाता था।हवा तेज होने के चलते टीवी पर पिक्चर फ्रेश नहीं आ रहा था।एंटीना को बांस के सहारे खड़ा किया गया था।हवा तेज होने के चले बार बार एंटीना दिशाहीन हो जा रहा था।

उसके लिए एक जुगाड़ लगाया गया कि एक-एक ओवर एक लड़का बांस को पकड़े रखेगा।फिर दूसरे ओवर के बाद दूसरा लड़का।चूंकि मैच देखने वाले 10-12 लोग थे इसलिए हर 10-12 ओवर के बाद मौका मिलता था। हालांकि अंत तक क्रिकेट देखा गया। जिसमें भारत की जीत भी हुई।


......बने रहे हमारे साथ इसके आगे की कहानी बहुत जल्द ही।


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