शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

बचपन सीरीज : 3

 बचपन : 2


रक्षाबंधन का वो दिन भी याद है।जब राखी अपने पसंद से ख़रीदवाते थे।अगर अपने पसन्द का राखी नहीं हुआ तो बंधवाते भी नहीं थे।


हमारे यहां नागपंचमी के दिन से ही हर चौक पर मेला लगता था।उस मेले में हम लोग जाया करते थे।मेला जाने के लिए अलग से तैयारी होती थी।जब पता चल जाता था कि नागपंचमी आने वाला है तो हमलोग पैसा जमा करना शुरू कर देते थे।मुश्किल से 5-10रुपये तक जमा कर पाते थे।तब तक मेला का दिन आ जाता था।घर से भी मुश्किल से 10-15 रुपये मिलते थे।उतना ही में पूरा मेला घूम लेते थे।उसी मेला से राखी भी ख़रीदवाते थे।


एक बार की बात है कि राखी के सुबह में ही बहन से झगड़ा हो गया।मार-पीट भी हुई।गुस्सा में बहन को बोले - हम तुमसे राखी नहीं बांधवाएंगे। वो भी बोली तुमको बांधने कौन जा रहा है।फिर पापा जी आते थोड़ा डांट लगाते।उसके बाद राखी बांधवा लेते।कभी कभी ऐसा भी होता था कि बहन के हिस्से वाला मिठाई भी छीनकर खा जाते थे।


ऐसे ही एक बार छोटे थे तब मेरी दीदी भी छोटी ही थी।दीदी से भी राखी बाँधवाने जाते थे। दीदी राखी के पहले से ही बोल देती थी कि इस बार बिना पैसा के राखी नहीं बांधेंगे।मेरा हमेशा की तरह जवाब रहता था ठीक है।जब दीदी के पास राखी बांधवाने जाते थे तब वो पहले ही पूछ लेती थी पैसा लाए हो।मैं झूठ बोल देता था हां।तब दीदी भी राखी बांधने के बाद पैसा मांगती थी। मेरे पास पैसा नहीं रहता तो दीदी बोलती थी।मेरा पैसा दो राखी बांधे हैं मिठाई खिलाए है।सबका पैसा दो तब ही जाने देंगे।उसके बाद लड़ाई झगड़ा होता था।फिर कोई आता झगड़ा शांत कराता।हम गुस्से में राखी तोड़ कर फेंक देते थे।उसके बाद चले आते थे। घर आओ तो राखी तोड़ने के लिए भी कुटाई होती थी।


समय बीतता गया अगले साल फिर राखी आयी।दीदी तो पहले ही बोल दी थी।इस बार बिना पैसा के राखी नहीं बांधना है।हम सुबह पर नहाकर दीदी के पास गए।इस बार तो दीदी पहले ही बोली पैसा देगा तब ही राखी बांधेंगे। थोड़ा बहस किए।लेकिन इस बार दीदी मनाने वाली नहीं थी।हम रोते हुए वापस आए।पापा जी दीदी बोली है पैसा मिलेगा तब राखी बांधेंगे।तो मेरे पापा जी बोले कि पूछकर आओ कितना पैसा चाहिए।फिर हम वापस दीदी के पास गए।वो बोली हमको पांच रुपया चाहिए।हम फिर पापा जी से आकर बोले।वो बोले कि अभी पैसा नहीं है जाकर पूछो कि दूध लेगी। क्योंकि मेरे उस समय मेरे घर गाय थी जो दूध दे रही थी। फिर हम दीदी से पूछे कि दीदी मेरे पास गाय का दूध है वही दे देंगे। तब दीदी मान गई। उसके बाद राखी तो बांध दी लेकिन मिठाई नहीं खिलाई।हम फिर वापस रोते गए। घर से ढाई सौ ग्राम दूध लाए।उसके पास मिठाई खाए।फिर दौड़ते हुए वापस आए।

ऐसे ही कभी दूध देकर तो कभी आम खिलाकर राखी बाँधवाते थे।उसके बाद भी प्यार बना रहता था।


अरुणेश कुमार 

Arunesh Kumar #RakshaBandhan

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