शुक्रवार, 12 अगस्त 2022

मोदी के लिए खतरा हो सकते हैं नीतीश

 *मोदी के लिए खतरा हो सकते हैं नीतीश*


नीतीश कुमार में क्या है कि भाजपा से अलग होते ही राजनीतिक गर्म हो चुकी है।कुछ लोगों का कहना है कि नीतीश की राजनीति खत्म हो गयी।जब उनकी राजनीति खत्म हो गयी तो फिर क्यों चर्चा हो रही है? क्या यह पहली बार है कोई पार्टी भाजपा से अलग हुई है? इसके पहले भी शिवसेना अलग हुई थी। अकाली दल भी अलग हुई। बिहार में ही उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी अलग हुई थी। तब तो कोई बात नहीं हुई थी।अब जदयू के अलग होने पर बवाल क्यों ? 

इसका सीधा मतलब है कि भाजपा के अंदर छटपटी होने लगी है।शायद अंदर ही अंदर डर हो रही है। क्योंकि यही नीतीश कुमार हैं जो सबसे पहले नरेंद्र मोदी का विरोध किए थे। वही उस समय जब पूरे देश में मोदी लहर बनाया जा रहा था।यहां तक मोदी के DNA वाले बयान को एक मुद्दा बनाकर पूरे बिहार में घूमे।

अगर देखा जाए तो बिहार के सबसे बड़े खिलाड़ी नीतीश ही हैं।चेहरा भी नीतीश हैं।फिर भी नीतीश बीजेपी के सामने नतमस्तक रहें।2020 के चुनाव में नीतीश के खिलाफ साजिश करके जदयू को BJP के द्वारा हानि पहुँचाया गया।फिर भी नीतीश भाजपा के साथ ही रहें।फिर अचानक क्या हुआ कि पार्टी तोड़ने का आरोप लगा कर नीतीश अलग होकर भाजपा के विपक्ष में चले गए। वो भी तक जब पूरे देश में विपक्ष को डराया जा रहा हो।

नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं।नीतीश कैसे अपने सामने से बड़े बड़े राजनेताओं को बाहर का रास्ता दिखा देते हैं कोई समझ नहीं पाया।चाहे वो जॉर्ज फर्नांडिस हो ,दिग्विजय सिंह हो , शरद यादव हो या फिर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले प्रशांत किशोर हो।

याद होगा 2020 के चुनाव में नीतीश कुमार ने आखरी दांव खेलकर सबको चौका दिया था।जब उन्होंने एक रैली में कहा था कि यह मेरा आखिरी चुनाव है।उसके बाद रिजल्ट क्या हुआ यह किसी से छिपा नहीं है।


दरअसल नीतीश कुमार का यह आखिरी दांव है। अब वो देख रहे हैं कि कांग्रेस की सोनिया गांधी बीमार हैं।राहुल ग़ांधी की छवि को बिगाड़ा जा चुका है।उधर शरद पवार की स्थिति उतनी अच्छी नहीं है।बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की हालत क्या है यह बताने की जरूरत नहीं है।नवीन पटनायक का भी वही हाल है।मतलब विपक्ष के तरफ से नीतीश कुमार को टक्कर देने वाला कोई है नहीं।इसलिए भाजपा से नाता तोड़ते ही नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा था।यहाँ ध्यान देने की बात है कि पिछली बार कांग्रेस ,जदयू और राजद के साथ गठबंधन हुआ था तब इनके सामने मोदी लहर भी फेल हो गयी थी और इसबार तो सात राजनीतिक पार्टियों का समर्थन है।अब महागठबंधन के पास नीतीश कुमार जैसे नेता हैं।अगर जातीय समीकरण से देखा जाए तो सबसे ज्यादा समर्थन बल है। इसी कारण से नीतीश कुमार देश की सक्रिय में फिट बैठ रहे हैं।

अगर नीतीश कुमार विपक्षी पार्टियों को एक जुट करने में सफर रहते हैं तो नरेन्द्र मोदी के लिए नीतीश खतरे से कम नहीं होंगे।क्योंकि नीतीश के साथ सिर्फ बिहार ही नहीं सारी विपक्षी राज्यों का समर्थन मिलेगा। चाहे वो झारखंड,उड़ीसा, बंगाल, आंध्र प्रदेश, राजस्थान ,तेलंगाना, तमिलनाडु,पंजाब या दिल्ली हो। सबका समर्थन नीतीश को मिल सकता है। क्योंकि ये सभी चाहते हैं कि भाजपा को सत्ता से बाहर करना है।

नीतीश एक ऐसे चेहरे हैं जिनके ऊपर भ्रष्टाचार जैसे कोई आरोप नहीं लगे हैं।जो BJP के लिए मुश्किल पैदा कर सकते हैं।अगर BJP कुछ आरोप लगाती भी है तो उसके लिए वो स्वयं जिम्मेदार हो सकते हैं।क्योंकि नीतीश के साथ बिहार में सबसे ज्यादा दिन वहीं रही है।




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