रविवार, 21 फ़रवरी 2021

स्वच्छता मिशन की हकीकत

  2 अक्टूबर, 2014 को स्वच्छ भारत मिशन देश भर में व्यापक तौर पर राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था।साथ ही केंद्र सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 तक खुले में शौंच मुक्त  भारत को हासिल करने का लक्ष्य रखा था और महात्मा गांधी के जन्म की 150 वीं वर्षगांठ तक ग्रामीण भारत में 1.96 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के 1.2 करोड़ शौचालयों का निर्माण करने का भी लक्ष्य रखा गया था।जिसे सरकारी आंकड़ों के अनुसार पूरा भी किया जा चुका है।सरकारी योजनाएं कोई भी हो भ्रष्टाचारी अधिकारी कर्मचारी उसमें पैसे कमाने का तरीका खोज ही लेते है। इसी तरह से स्वच्छ भारत अभियान में पैसे कमाने के लिए अधिकारियों ने अनोखे जुगाड़ बनाया। ‘स्वच्छ भारत मिशन’ के तहत शौचालय निर्माण के लिए लाभार्थियों को 12-12 हजार रुपये देने के बजाय कथित तौर पर दलालों के जरिये हड़प लिए गए जा रहें।अगर जाँच हो तो मिशन के तहत बनने वाले शौचालय में लाखो का घोटाला सामने आ सकती है, एक ही शौचालय की फोटो को कई कई शौचालय की फोटो दिखाकर  योजनाओं का लाभ उठा जा चुका है।जितने भी शौचालय बनाये गए थे वो अब जर्जर हालात में पाए जा रहे हैं।फिर से लोग बाहर जाने को मजबूर हो गए।इसकी स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए।


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