सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

जनता पस्त , सरकार मस्त

 जो लोग कल तक पेट्रोल-डीजल और गैसों की महंगाई पर साइकिल और गैस सिलेंडर लेकर बाहर निकल जाते थे।वो आज कल चुप्पी साधे हुए हैं।उनके लिए ये महंगाई देशहित है।वो ये बताने में पुर जोर तरीके से जुट गए हैं कि देश के राजस्व में वृद्धि हो रही है।जब 2014 में मोदी सरकार सत्ता में आयी तब लोगों को उम्मीद थी कि महंगाई पर लगाम लगेगी।क्योंकि तत्कालीन विपक्ष में बैठे नेताओं का अहम मुद्दा था "बहुत हुई महंगाई की मार,अबकी बार मोदी सरकार"।नोटबन्दी के बाद प्रधानमंत्री ने एक साक्षात्कार में कहा था कि 2014 से पहले हेडलाइन बनती थी महंगाई, लेकिन अब कोई मुद्दा नहीं है।पर,आज पेट्रोल-डीजल के दाम आसमान छू रहें हैं और गैस की कीमत घर में आग लगा रही है।सच्चाई तो यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की कीमत में कोई खास वृद्धि नहीं हुआ है लेकिन केन्द्र सरकार और राज्य सरकार दोनों मिलकर एक्साइज ड्यूटी और टैक्स लगा कर अपनी अपनी तिजोरी भरने में लगी है।इधर महंगाई आम जनमानस की कमर तोड़ने में लगी है।महंगाई के अनुपात में लोगों की आमदनी भी बढ़ती तो कुछ हद तक जायज होता।लेकिन यहां जनता पस्त और सरकार मस्त हो चुकी है।

आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस सरकार की बुनियाद ही महंगाई थी वो आज महंगाई पर चुप्पी साधे हुए  कैसे बैठ सकती है।यह अपने आप में  हास्यास्पद लगता है।




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें